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नागपुर में आयोजित हुआ था “प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन”

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नागपुर में आयोजित हुआ था “प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन” 

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 10 जनवरी :: 

“विश्व हिन्दी दिवस” प्रत्येक वर्ष जनवरी के 10 तारीख को मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना और हिन्दी को अन्तराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। विदेशों में भारत के दूतावास “विश्व हिन्दी दिवस” को विशेष रूप से मनाते हैं। सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यानमाला आयोजित किये जाते हैं। ऐसे तो भारत में हिन्दी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है।

विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया। उस समय से 'विश्व हिन्दी दिवस' मनाया जाता है। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को देश में “विश्व हिन्दी दिवस” मनाने की घोषणा की थी, उसके बाद सबसे पहले 10 जनवरी, 2006 को “विश्व हिन्दी दिवस” मनाया गया। इस प्रकार अब प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को “विश्व हिंदी दिवस” मनाया जाता है।

“विश्व हिन्दी दिवस” पर हिंदी के महत्व, हिंदी के इतिहास आदि के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है।  इसका आयोजन का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रभाषा को न केवल देश के प्रत्येक क्षेत्र में, बल्कि विश्व स्तर पर फैलाना है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविंददास ने निभाई थी। 

प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को दुनियाभर में “विश्व हिंदी दिवस” मनाया जाता है। यह दिन भारतीयों के लिए बेहद खास होता है। । इसका मुख्य मकसद हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार करना और भाषा का दर्जा दिलाना है। साथ ही हिंदी को जन-जन तक पहुंचाना भी है। 

वर्तमान समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विश्व पटल पर हिंदी भाषा में भाषण देते हैं। इससे पहले दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण दिया था।

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