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CM को इतनी नफरत क्यो ? विक्रम रावत ,

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मार्क्सवादी कम्युनिस्टों की फितरत है कि कोई भी नेक काम, पार्टी हित में ही क्यों न हो, तब भी उस पर कालिख पोत ही देते हैं। कारनामा हो, कारगुजारी, हो उसे काला करार देंगे। सिर्फ डाह के कारण। वर्ना माकपा-शासित केरल की बहुप्रशंसित स्वास्थ्य मंत्री रही केके शैलजा पर एशिया के नोबुल पारितोष रेमन ‘‘मेगसाई‘‘ एवार्ड को लेने से पाबंदी क्यों थोप दी ? पार्टी महासचिव येचूरी सीताराम और मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन का फरमान है कि शैलजा इस विख्यात सम्मान को अस्वीकार कर दें। एक अनुशासित पार्टीजन के नाते शैलजा ने पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया। यह उन्हें दिया जा रहा था इसलिये कि केरल स्वास्थ्य मंत्री के नाते उन्होंने जनता की कोविड से रक्षा की थी। विश्वख्यात दैनिक ‘‘दि गार्जियन‘‘ ने शैलजा की सफलता पर उन्हें कोविड ‘‘कीटाणु की हत्यारिन‘‘ का खिताब दिया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस केरल स्वास्थ्य मंत्री को संबोधित करने के लिए न्यूयार्क आमंत्रित किया था। बीबीसी ने उन्हें एशिया की शीर्ष कोरोना योद्धा बताया था। मशहूर ‘‘वोग‘‘ फैशन पत्रिका ने विश्व की श्रेष्ठतम जनहित विचारक उन्हें बताया। शैलजा ने न्यूजीलैण्ड की महिला प्रधान मंत्री जेसिन्दा आर्देम को प्रतिस्पर्धा में दोयम दर्जे पर छोड़ दिया। प्रतिष्ठित आर्थिक दैनिक ‘‘दि फिनांशियल टाइम्स‘‘ ने शैलजा को विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली मंत्री कहा था। समस्त-यूरोप समाज का पुरस्कार भी उन्हें मिला और बदले में नफरत l

अर्थात सारी दुनिया ने शैलजा का सम्मान किया। तब भी केरल सरकार और माकपा ने उन्हें तिरस्कृत कर दिया। कैसा सलूक किया ? केरल विधानसभाई मतदान में गत वर्ष (2021 में) एसेंम्बली चुनाव इतिहास में सर्वाधिक वोट (साठ हजार) के बहुमत से मत्तनूर क्षेत्र से जीतीं। इतने मार्जिन से केवल वे ही सात दशकों में विजयी। कोविड से जंग जीतने के बाद मुख्यमंत्री विजयन ने अपनी दूसरी काबीना (2021) में शैलजा को हटा दिया। बिना कोई कारण गिनाये अथवा आधार बताये। उनकी जगह पर एक अति लावण्यमयी मलयालम टीवी रिपोर्टर, 45-वर्षीया वीणा जॉर्ज को इस 77-वर्षीय पिनरायी विजयन ने स्वास्थ्य मंत्री बना दिया। सरकार में वीणा का यह पहला अनुभव है। शैलजा कम्युनिस्ट पार्टी की अनुशासित कार्यकत्री रहीं, माकपा के स्टूडेंट फेडरेशन की सदस्या थीं। जब येचूरी सीताराम और पिनरायी विजयन से पत्रकारों ने जानना चाहा कि कोरोना काल की एक विश्वविख्यात स्वास्थ्य मंत्री को दोबारा मंत्री क्यों नहीं बनाया ? तो दोनों माकपा नेता मौन थे, मूक रहे। कहा: पार्टी का यह फैसला है। हाईस्कूल की भौतिक विज्ञान की टीचर रही शैलजा, दो किताबों की लेखिका, पत्रिका ‘‘स्त्री-शब्दम‘‘ की संपादिका रहीं। वे विज्ञान तथा शिक्षा विषयों में दोहरी स्नातक हैं। आज भी वे ‘‘शैलजा टीचर‘‘ के ही नाम से जानी जाती हैं। विधानसभा के चुनाव 1996 में सोनिया-कांग्रेसी प्रतिद्वंद्वी कृष्णन नायर को उन्होंने हराया था। फिर 2006 में प्रो. एडी मुस्तफा को शिकस्त दी। अब तक चार बार शैलजा जीत चुकी हैं। उन्हें सामान्य जन मजबूत दिमागवाली  मगर मृदुल हृदयवाली नारी मानता है। केरल के कम्युनिस्ट मर्दों को लाज आनी चाहिये थी कि मुख्यमंत्री जो स्वयं स्वर्ण तस्करी में लिप्त है, एक निपुण महिला सहयोगी को मानसिक यातना दे रहा है l

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