हमारे देश के पास कई गौरव रहे ,लेकिन कुछ को हमने ही दुर्भाग्य में बदला और उसकी कीमत आज तक चुका रहे है ।भारत मे जब स्त्री-पुरुष के बीच मतभेद होता है , स्त्रिया अपने अधिकार ओर सम्मान के लिए संघर्ष करती है , दिखता हैं कैसे हमने गौरव को दुर्भाग्य में बदला ।गौरव यह है कि हमारे देश का मूल चित्त नारी है ,शास्त्रों में कहा गया है भक्ति नारिचित का विषय है ।इसलिये माता ,बहनो के जीवन मे भक्ति आसानी से उतर अति है ।पुरुष इस मामलें में समीकरण चलाते है ।अब रहा है उत्सव का दौर ।दिवाली तक हम उल्लास की एक नई दुनिया मे रहेंगे ।आगामी उत्सवों की प्रत्येक कथा स्त्री ,पुरुष गौरव की कथा है ।चाहे किसी भी भाव मे से चिंतन करें ,यह तय है कि हम सब का चित्त स्त्री है और यही भारत को पूरी दुनिया मे अलग पहचान दिलाता है।इस लिए नारी के मान में कोई कमी नही होनी चाहिए।दुनियां की सभी नारी में भगवती विराजमान है ,उसे जितना खुश रखेगे ,लक्ष्मी आप को उतना ही खुश रखेंगी ,यही सत्य है ,
रिपोर्ट रीता सिंह मो,704100454