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ऐतिहासिक व पौराणिक मिथिलाधम 84 कोस की मध्यमा परिक्रमा का हुआ शुभारंभ !

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ऐतिहासिक व पौराणिक मिथिलाधम  84 कोस की मध्यमा परिक्रमा का हुआ शुभारंभ !

परिक्रमा में देश-विदेश के लगभग दो हजार साधु-संतों सहित भक्तों व श्रद्धालुओं का जत्था शामिल !

अयोध्या व मिथिला में राम व सीता को लेकर अटूट सम्बंध तो है ही, साथ ही एक अद्भुत समानता भी दोनों जगहों पर देखने को मिलती है जो त्रेतायुग से अनवरत जारी है जिसे 84 कोस की मध्यमा परिक्रमा कहा जाता है। एक ही निर्धारित तिथि में प्रारंभ होकर 15 दिनों तक चलने वाले इस परिक्रमा को अलौकिक व मोक्षदायिनी माना जाता है।
कल 20 फरवरी से 15 दिवसीय मिथिला मध्यमा परिक्रमा मेला का शुभारंभ करते हुए मारुति नन्दन खालसा के श्री महंत वैष्णव दस उर्फ वामन भगवान के नेतृत्व में रवाना हुए 84 कोस मध्यमा परिक्रमा को विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने हरी झंडी दिखाकर विदा किया। उक्त परिक्रमा में देश-विदेश के लगभग दो हजार से अधिक साधु-संतों, महात्माओं व श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है।

किवंदती है कि त्रेतायुग में मिथिलानरेश राजा जनक के द्वारा आयोजित धनुष यज्ञ में भाग लेने के लिए जनकपुर पहुंचने पर राजा जनक के दरबार मे उपस्थिति से पहले भगवान राम अनुज लक्ष्मण व गुरु विश्वामित्र सहित नगर दर्शन के दौरान जहां-जहां पहुंचे थे उन सभी स्थानों की यात्रा श्रद्धालुओं द्वारा आज भी की जाती है और इसे मोक्षदायक माना जाता है। यात्रा के दौरान भगवान राम व जनकनन्दिनी जानकी का डोला भी यात्रियों के संग-संग चलता है।
परिक्रमा के दौरान कचुरीधाम, जनकपुर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, ध्रुवकुण्ड, कंचनवन, पर्वता, धनुषाधाम, सप्तर्षि आश्रम, विशोउल व जनकपुरधाम की मुख्य परिक्रमा की जाती है।
मिथिलाधम मध्यमा परिक्रमा को लेकर जहां श्रद्धालु भक्तों व संत-महात्माओं में अपार उत्साह है वहीं स्थानीय लोगों, समाजसेवी संस्थाओं व पुलिस प्रशासन द्वारा भी जगह-जगह शिविर लगाकर परिक्रमा-यात्रियों की सुख-सुविधाओं का भरपूर ध्यान रखा जा रहा है।

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