" भगवान श्री परशुराम प्रकाट्योत्सव "
पुरतः चतुरो वेदाः ,पृष्ठतः सशरं धनु:।
इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।।
मुख चारों वेदों से सुशोभित ( पूर्ण ज्ञान ) ,पीठ पर शरों सहित धनुष ( शौर्य ) । एक ओर तो ब्राह्मणः-तेज रूपी शास्त्र और दूसरी ओर क्षत्रियोचित शस्त्र। जो कोई इनका विरोध करेगा, उसे शाप देकर अथवा बाणसे परशुराम पराजित करेंगे ।
भगवान विष्णु के 'आवेशावतार', शस्त्र-शास्त्र के ज्ञाता, समता एवं न्याय के प्रतीक, भगवान श्री परशुराम जी के प्रकाट्योत्सव पर्व पर हार्दिक मंगलमयी शुभकामनाएँ ।
भगवान श्री परशुराम जी की अनुकम्पा हम सब पर अनवरत बनी रहे यही प्रार्थना है।
गर्व से कहो कि हम भगवान श्री परशुराम के वंशज हैं।
जय-जय भगवान श्री परशुराम जी की जय हो ....