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जिससे अचेतन मन , चेतना से भर जाता है !

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[ गायत्री मंत्र का रहस्य ] 
( जर्मन वैज्ञानिक फ्रेडरिक जॉन के शोध जानिए ) 
||| शुभ प्रभात, भक्त मित्रों  |||

गायत्री मंत्र की रचना जब महर्षि विश्वामित्र ने की थी ,
तब ऋषि विश्वामित्रजिससे अचेतन मन , चेतना से भर जाता है ! उन्होंने ने भी नहीं सोचा होगा यह मंत्र कितना शक्तिशाली है और विश्व का सबसे शक्तिशाली मंत्र प्रमाणित होगा! ऐसे में यह मंत्र एक वरदान के रूप में मानव जाती को समर्पित हो गया।  गायत्री मंत्र एक महान मंत्र है यह तो सभी जानते है पर कैसे यह नहीं जानता और कैसे कोई भी मंत्र असर करता है और क्या है इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण और वैज्ञानिक कारण इसकी बात हम करने वाले है। कई विदेशी लोग या अपने ही हिंदू धर्म के पश्चिमी देशों के रंग में भीगे हुए और कुछ सेक्युलर लोग यह कहते फिर रहे है मंत्र तंत्र कुछ नहीं होता पर आज का यह लेख सिद्ध करेगा कि मंत्र भी असर कारक होता है और कैसे उन्हें यह पढ़ना होगा। यहां पर दिए गए सारे विचार मेरे स्वयं के है और किसी भी व्यक्ति जीवित या मृतक से कोई भी संबंध नहीं रखता है और अगर होता भी है तो केवल एक संयोग जो होगा।

||| ॐ भूर्भुवः स्वःॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॐ  |||

भावार्थः- हम उस अविनाशी ईश्वर का ध्यान करते है, जो भूलोक,अंतरिक्ष, और स्वर्ग लोकोंका का उत्पन्न किया है,उस सृष्टी कर्ता, पापनाशक,अतिश्रेष्ठ देव को हम धारण करते है – वह (ईश्वर) हमें सद्बुद्धी दें एवम सत्कर्म मे प्रेरित करे।

* यह गायत्री मंत्र ऋग्वेद यजुर्वेद और सामवेद में प्रस्तुत है। एक ईश्वर का उपासना करना इसका मुख्य उद्देश्य है। चार वेदो में से यह मंत्र सबसे प्रसिद्ध मंत्र है। कई नामी लोगों ने इस गायत्री मंत्र का गुणगान किया है आखिर क्यों? कुछ तो देखा होगा कुछ तो अनुभव किया होगा वरना महान लेखक एवम् कवि रबीन्द्रनाथ टैगोर, और अरबिंदो जैसे संत, महात्मा गांधी जैसे व्यक्ति तो सुभाषचंद्र बोस जैसा सिपाही सभी ने उस मंत्र का केवल गुणगान किया है तो उसके पीछे भी कुछ तथ्य रहा होगा! पर हम आज की पीढ़ी इस महान मंत्र को भूलती जा रही है और हम पश्चिमी रंग में रंगे जा रहे है तो क्या अपनी संस्कृति को कम आंकते है? अंग्रेजी माध्यम में अभ्यास और विदेशी दौरे में हम यह क्यों भूल जाते है कि हमारी अपनी संस्कृति एक महान संस्कृति है। जिसने संसार को विज्ञान दिया, अध्यात्म दिया और वेद दिए। इसी कारण से यह मंत्र का रहस्य अब समय जाते भुलाता जा रहा है। आज हम इस कारण से भी इस मंत्र के विषय में बात करेंगे।

* एक जर्मन वैज्ञानिक फ्रेडरिक जॉन ने भारत की यात्रा की तो यहां से वेद की नकल ले गया और उस पर अपने तरीके से अध्ययन प्रारंभ किया और नतीजा अत्यंत चौंकाने वाला आया और उन्होंने अपनी इस बात को वैज्ञानिक कॉन्फ्रेंस में बताई पर उनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और अपमान किया गया था। पर यह वैज्ञानिक नहीं माना और आगे ऐसे कई प्रमाण जुटाता गया। एक समय पर उसने अपनी डायरी में यह प्रयोग के विषय में लिखना प्रारंभ किया और एक दिन अचानक हार्ट अटैक से मर गया। पर जब उसकी डायरी हाथ में आई तो कुछ तथ्य थे उस पर सभी का ध्यान गया। तथ्य कुछ निम्न प्रकार के थे।

• जब जब गायत्री मंत्र का कई हजार बार जप किया जाता है तो आकाश में बादल कैसे उमड़ जाते है और गर्मियों में एक भी बादल ना होते हुए भी कैसे इकट्ठा हो जाते है?
• गायत्री मंत्र के जाप से अचानक तापमान में थोड़ी वृद्धि होती है क्यों?
• इस मंत्र के लगातार जाप से अचानक ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है पर क्यों? और क्यों गुरुत्वाकर्षण बल की वृद्धि अनुभव होती है?
• गायत्री मंत्र के अविरत जाप से अचानक उत्तेजित पशु या प्राणी शांत क्यों ही जाता है?
• इस मंत्र से शरीर के भीतर एक स्पंदन क्यों उठता है?
• इस मंत्र के लगातार जप से क्यों बीमारियों में कमी होती है?
• इस मंत्र के जाप से धान अचानक क्यों अच्छे से लहराने लगते है?

यह सात तो मुख्य थे पर उस डायरी में अनेकों चीज लिखी हुई थी पर यह सात मुद्दे अती आवश्यक और मुख्य थे जिसका उत्तर आजतक किसी को नहीं मिला है। यह मंत्र आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो इसके जप से छंद रश्मियां जिसको विज्ञान डार्क मैटर या डार्क एनर्जी कहते है वह आकर्षित होती है और उसके चलते गुरुत्वाकर्षण बल में वृद्धि होती है। छंद रश्मियां इस मंत्र के जाप से प्रभावित होती है क्योंकि छंद रश्मियों का स्पंदन 0.000003 हर्ट्स पर है और गायत्री मंत्र का सही उच्चारण उसी हर्ट्स पर केन्द्रित होता है इसलिए वह डार्क एनर्जी प्रभावित होती है और खींची चली आती है। इसी डार्क एनर्जी को आज तक विज्ञान खोज नहीं पाया केवल कल्पित अनुमान लगाता आ रहा है। रही बात मंत्रो की तो यह बात जान लेना भी अति आवश्यक है कैसे यह मंत्र कार्य करते है! जब हम कोई भी मंत्र का प्रमाणित ढंग से उच्चारण करते रहते है तो हमारे आसपास एक आंदोलन का वर्तुल बनता है जैसे जैसे हम जाप सही ढंग से करते रहते है तो उस वर्तुल के आकार में वृद्धि होती रहती है। जब वर्तुल इतना बड़ा बन जाता है कि आकाश तक को छू सकता है तब सभी लोग और समस्त पृथ्वी उससे प्रभावित होती है। उस आंदोलन से इतनी प्रभावित होती है कि की बार बरसात तक हो जाती है तो कई बार शरीर के भीतर तक माइक्रोन की तरह फ़ैल जाता है और उसकी सकारात्मकता से बाकी के सभी कीटाणु को नष्ट कर देते है जिससे इंसान ठीक होने भी लगता है।

विश्व में कुछ उदहर के लिए तथ्य वाले कुछ मामला भी सामने आया है जिसका कैंसर तक ठीक हुआ है और किसी का पागलपन तक ठीक हुआ है। पर यह सब होने के लिए प्रमाणित ढंग और एक समान सुर और एक समान ही लय होनी आवश्यक है वरना वर्तुल निर्मित नहीं होता है और जब तक वर्तुल निर्मित नहीं होता तब तक वह चीज कार्य नहीं करती है। इसके पीछे एक कारण है। जब हम सुर से भटक जाते है तो जिस सुर से वर्तुल निर्मित हुआ होता है वह वर्तुल में छेद हो जाते है और वहां से टूट जाता है इसलिए वह वर्तुल कोई काम का नहीं रहता अगर सही सुर और राग और लय से ना किया गया वह जाप। यहां पर केवल मै गायत्री मंत्र का ही नहीं अपितु कोई भी मंत्र का असर तब होता है जब एक समान सुर रहे। गायत्री मंत्र में इतनी सकारात्मक ऊर्जा है कि अगर लगातार एक हज़ार साल तक एक समान और एक ही लय में इस मंत्र का जाप चले तो एक नई सृष्टि तक बना सकता है। यह मै नहीं कहता पर पुराण कहते है और पुराण अपने ऋषि मुनियों ने अपने अनुभव से तथ्य ही लिखे है।

जब घर में नकारात्मक ऊर्जाओं का वहन हो रहा हो तो गायत्री मंत्र का हवन कराने से घर शुद्ध हो जाता है और सकारात्मक ऊर्जा बहने लगती है। घर में भूत प्रेत इत्यादि से आप परेशान है तो सही प्रमाण से गायत्री मंत्र का जाप करने से बाधा भी टल जाती है। यह कोई आध्यात्मिक कारण से नहीं है अपितु जैसा हमने उपरोक्त बातों से ज्ञात किया इसी कारण से यह निश्चित है कि गायत्री मंत्र सभी मंत्रो में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अगर आपको गायत्री मंत्र के विषय में ओर जानकारी चाहिए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते है !

[ मानसपुत्र संजय कुमार झा ] 
व्हाट्सऐप : 9679472555 / 9431003698

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