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प्रज्ञा शब्द का तात्विक अर्थ प्रखर ज्ञान होता है।

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गायत्री महामंत्र के जाप और चिंतन करने से प्रखंड ज्ञान प्राप्त हो सकती है। जब व्यक्ति के जीवन में प्रखर ज्ञान आता है तो वह मां गायत्री के वाहन हंस की तरह नीर छीर विवेकशील बन जाता है। जिस प्रकार हंस दूध और पानी को अलग-अलग कर देता है उसी प्रकार प्रखर ज्ञान संसार से अशुभ विचार को त्याग कर शुभ विचारों को ग्रहण कराता है।

प्रखर ज्ञान के कारण ही मनुष्य अशुभ कर्मों को छोड़कर शुभ काम करने का प्रयास करता है। शुभ कामों के कारण ही आत्म कल्याण, परिवार कल्याण और समाज कल्याण के दायित्वों को पूरा किया जाता है। जीवन में हर क्षेत्र में विकास के लिए प्रखर ज्ञान का होना जरूरी है।

                              निवेदक
                  मानसपुत्र संजय कुमार झा
        शुभ प्रभात  ...  शुभकामनाएं  ...  प्रणाम

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