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गायत्री मंत्र किसने और क्यों लिखा ?

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 शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र सृष्टि रचयिता को आकाशवाणी से मिला था। सृष्टि के निमार्ण प्रेरणा ब्रह्मा का इसी मंत्र से प्राप्त हुई थी। गायत्री के व्याख्या में ब्रह्माणी ने चारों वेदों की रचना की थी। यही वजह है कि गायत्री को वेदमाता कहा जाता है। गायत्री मंत्र भारतीय संस्कृति का सनातन और अनादि मंत्र है। सर्ववेदानां गायत्री सारमुच्यते शास्त्रकार इसे वेद का सार कहते हैं।

गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि गायत्री छंद समाहम इसका मतलब है कि मंत्रों में मैं गायत्री मंत्र हूं। देवी भागवत में कहा गया है कि नरसिंह, सूर्य, वराह, तांत्रिक और वैदिक मंत्रों का अनुष्ठान बिना गायत्री मंत्र के पूरा नहीं होता। इस मंत्र के उच्चारण से शरीर के उन नाड़ियो में भी प्राणशक्ति आ जाती हैं और ब्लड का सर्कुलेशन स्वस्थ हो जाता है जो निर्जीव हो चुकी हैं। इससे शरीर के सारे रोग व परेशानियां खत्म हो जाती हैं ।

शस्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को श्रद्धा से जपने से शारीरिक, भौतिक और आध्यात्मिक बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। इसके जप से नई शक्ति और आशाओं का संचार होता हैं जो भी इस मंत्र का जप करता है उसके गुणों में वृद्धि होती है। महाभारत में हैं कि भीष्म पितामाह सर शैय्या पर से युधिष्ठिार को समझाया था कि जो व्यक्ति गायत्री मंत्र का जप करता है। उसे धन, पुत्र घर के साथ सारी भौतिक चीेजें मिलती हैं। अकाल मृत्यु नहीं होती है और सारे क्लेया से बच जाता है।

                               निवेदक 
                मानसपुत्र संजय कुमार झा 
        शुभ प्रभात ... शुभकामनाएं ... प्रणाम l .... RDNEWS24.COM

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