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ट्रैफिक पोस्ट बना अवैध का अड्डा आखिर इसका जिम्मेवार कॉन ,

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सुर्खियों में प्रभारी की कार्यप्रणाली,बदलते रहे प्रभारी लेकिन नही बदली व्यवस्था वाहन चेकिंग के नाम पर तो गाड़ी को चेकिंग करने के लिए तो रोक दिया जाता है लेकिन कुछ गलत पाए जाने पर रसीद चालान काटने के बजाए सेटिंग वेटिंग कर ली जाती है क्यों कि चालान का रकम ज्यादा होने से वाहन कर्ता की मजबूरी बन जाती है कि सेटिंग वेटिंग कर के अपना काम निपटा लेते है। लेकिन अधिकारियों को चाहिए कि चालान दे यह फिर ट्रैफिक एस पी ग्रुप में फ़ोटो भेज दिया करे।

इन दिनों पटना जिले के अंतर्गत ट्रैफिक अधिकारी का तबादला लगभग ड्यूटी कर रहे चार से पांच महीने के अधिकारियों का तबादला किया गया लेकिन सूत्रों के अनुसार कुछ ऐसे भी अधिकारी है जो नौ से दस महीने ड्यूटी करने के बाद भी ट्रैफिक अधिकारियो का तबादला अब तक क्यों नही जो जहाँ है जस का तस छोड़ दिया गया है इन लोगो का ना कोई सुनने वाला ना कोई ध्यान देने वाला आखिर जिन लोगो का तबादला अब तक नही हुआ उनका जिम्मेदार कौन?

पटना। जिले की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अब तक कई प्रभारी इधर से उधर हो चुके है लेकिन एक लंबे अर्से से बेपटरी चल रही व्यवस्था सुधरने का नाम नही ले रही है। चौकाने वाली बात यह है कि सफेद वर्दीधारी वसूली अभियान में मदमस्त है। जिले में नए ट्रैफिक प्रभारी ने कमान सम्भाली थी युवा थे इसलिए सबकी आशावादी निगाहें इनके ऊपर टिकी थी और विश्वास था कि व्यवस्था में परिवर्तन होगा लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत। जिससे एक बार पुनः आम जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दिनों ट्रैफिक पुलिस ने वसूली के अपने कई ठिकाने बना लिए है। शेखपुरा ट्रैफिक पोस्ट, डुमरा पुलिस ट्रैफिक पोस्ट,सचिवालय ट्रैफिक पोस्ट,हड़ताली ट्रैफिक पोस्ट,भोल्टास ट्रैफिक पोस्ट,गोरियाटोली ट्रैफिक पोस्ट, गाँधीमैदान ट्रैफिक पोस्ट,कुल्हड़िया ट्रैफिक पोस्ट,इन ठिकानो में कई ऐसे अन्य ठिकाने है जहाँ ट्रक,ट्रैक्टरों, ट्रेलरों और संदिग्धों से नजराना लेने की परम्परा चल रही है।

बदहाल व्यवस्था का जिम्मेदार कौन…

बदहाल व्यवस्था के लिए आये दिन सुर्खियों में बने रहने वाली यातायात पुलिस न जाने कब अपने कर्तव्य मार्ग पर वापस आएगी। बात चाहे बेतरतीब खड़े वाहनों की हो अथवा ट्रैफिक जाम की हर जगह पुलिस नदारत रहती है। इस बदहाली का खामियाजा आम जनता और मुसाफिरों को झेलना पड़ता है। समझ नही आता इस तरह की व्यवस्था का जिम्मेवार किसे ठहराया जाए। सबसे ध्यान देने वाली बात तो यह है कि किसी किसी जगह ट्रैफिक पोस्टपर दर्जनों पुलिसकर्मीयो का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन फिर भी आये दिन जाम जैसे स्थिति निर्मित होती है।

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