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बिहार की धरती पर अमित शाह का दहाड़, जंगलराज पर होगा करारा वार ,

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बिहार की धरती पर अमित शाह का दहाड़, जंगलराज पर होगा करारा वार

पूर्वांचल। बापू के चंपारण आंदोलन की ऐतिहासिक भूमि जहां कण-कण में दिनकर की कविता बसी हुई है, जहां नालंदा का ज्ञान है और पाणिनी का व्याकरण, जो बुद्ध और अशोक के अध्यात्म के लिए विख्यात है। बिहार की उस पावन भूमि पर कमल का विजय पताका फहराने और 2024 में संपूर्ण बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के लिए मोदी-शाह की जोड़ी ने कमर कस ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय राजनीति में चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने "भारत माता" के जयकारे के साथ बिहार में जंगलराज की वापसी को लेकर कांग्रेस की राजद-जदुवाली महाठगबंधन की सरकार पर जम कर हमला किया।

देश की राजनीति की स्थिति और दिशा को निर्धारित करने में बिहार की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता है। 1990 के दशक में बिहार न केवल मंडल-समर्थक और मंडल-विरोधी आंदोलन के केंद्र में था, 1975 में वह रोष-विरोधी आंदोलन का भी केंद्र रहा, जब साक्षी प्रत्यक्षदर्शी गांधी ने देश में अपील कर दिया था। ब्रिटिश शासन में भी बिहार की धरती पर कई आंदोलनों के आगाज हुए। बता दें, देश के अन्य राज्यों की तरह ही, बिहार में भी कांग्रेस का दबदबा हो रहा है।

लेकिन आज बिहार में कांग्रेस का राजनीतिक वजूद नागरी टूट गया है। आरोपित-पुथल भरी बिहार की राजनीति में जातिगत अनुपात का बखूबी फायदा आर जुडी ने बिहार को विकास से कोस दूर रखने वाले अपराधियों और भ्रष्टाचार के गर्त में भ्रष्टाचारी जंगलराज ही कायम रखा। लेकिन जब-जब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और अमित शाह के अनुकूल मार्गदर्शन में बीजेपी ने नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन कर एनडीए की सरकार बनाई, तब-तब अपराध और भ्रष्टाचार पर लगाम प्रत्यक्ष विकास का मार्ग बनाया और सुशासन टिका की। बिहार में मोदी की दूर कहें सोच और भारतीय राजनीति को नए आयाम देने वाले अमित शाह के मार्गदर्शन में नई सड़क बनाने से लेकर घर-घर बिजली, गैस और शौचालय बनाने की अपनी उपलब्धियां के साथ 2024 के सात चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी मैदान में उतरी बोल्ड है।

दूरदृष्टा प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी सोच और लोक हित में अपनी पहचान के लिए प्रसिद्ध अमित शाह के नेतृत्व में पिछले 8 वर्षों में बिहार में गैर-विकास कार्य कर रहे हैं। बिहार में हाईवे निर्माण, पर्यटन, रेल लाइन का दोहराकरण और विद्युतीकरण, इंजीनियरिंग कॉलेज, आईटी की स्थापना, पर्यटन के कब्जे से वाल्मिकी नगर को रामायण सर्किट से जोड़ने की योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, श्रमयोगी पेंशन योजना, स्वामित्व योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, जनधन योजना, ऊर्जा योजना, आयुष्मान भारत योजना, हर घर में जल, 130 करोड़ की आबादी को मुफ्त कोरोना टीकाकरण - ये सारे गरीब कल्याण कार्य मोदी-शाह की करिश्माई साझेदारी के नेतृत्व में ही संभव हो सका है। जब निरंकुश कुमार ने भाजपा का धमन थामा किया, तब मोदी-शाह की जोड़ी ने बिहार के विकास और शांति के रास्तों की अगुवाई की।

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