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तीन दशक से लग रही फुलपरास के साप्ताहिक राजस्व हाट को आज भी है

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तीन दशक से लग रही फुलपरास के साप्ताहिक राजस्व हाट को आज भी है एक सुरक्षित जगह की तलाश - नेता, जनप्रतिनिधि और अधिकारी सब दिख रहे हैं उदासीन  दशकों से दर दर भटकते फुलपरास का साप्ताहिक हाट आज तक अपनेे लिए एक अदद महफूज जगह की तलाश पूरी नहीं कर पाई है। करीब साठ के दशक से स्थानीय हर आम और खास लोगों के लिए रोजमर्रे की जरुरतों को पूरी करने वाली यह हाट आज भी अपने उद्धारक की तलाश में है। समय और स्थिति के अनुरुप दर बदर इसकी नियति बन गई है। प्रारंभिक दौर में ग्रामीणों ने इसे आज के एसएच 51 कहे

जाने वाली फुलपरास खुटौना सड़क पर लगवाने की शुरुआत की थी। उस समय की कच्ची पक्की इस सड़क पर न यांत्रिक वाहनों का कोई शोर शराबा था और न आवागमन की कोई हलचल-कई वर्षों तक हाट यूॅ ही सड़क पर लगती रही। फिर सड़क बनने के दौर में इसे भूतही बलान नदी के सुरक्षात्मक पश्चिमी तटबंध पर धकेल दिया गया। कई वर्ष बाद जब जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस पर आपत्ति जताई तो हाट एक बार फिर से घोघरडीहा फुलपरास सड़क पर आ गई। फिर बना एनएच 57 और उसका सर्विस रोड। हाट के जीवट अस्थाई दूकानदारों ने उस पर अपनी लंबी तान दी और हाट लोगों की जरुरतों को पूरी करती रही। कोरोना काल में एक बार फिर इसे ढ़ेल कर स्थानीय उच्च विद्यालय के प्रांगण में पहुॅचा दिया गया। जो हटिया और उसके दूकानदारों को रास नहीं आया। महीना दो महीना बाद फिर स्थिति यथावत हो गई और हाट एनएच के सर्विस रोड पर लगने लगी। इस दरम्यान हाट पर लोगों और अस्थाई दूकानदारों की भीड़ भी बढ़ती रही।तब तक हाट भी अपग्रेडेड होकर राजस्व हाट बन गई थी। फिलहाल करीब आठ लाख रुपये सलाना इसकी राशि सरकारी खाते में जमा हो रही है। एनएच 57 के सर्विस रोड पर लगती इस हाट के बदलते स्वरुप, उस पर बढ़ती दूकानदारों और ग्राहकों की भीड़ तथा एनएच पर वाहनों के घनत्व के मद्देनजर एक बार फिर हाट के जगह को लेकर लोग चिंतित दिख रहे हैं।चर्चा कई वर्षों से चल रही है लेकिन जगह आज तक खोजा नहीं जा पाया है। जानकारी हो कि  हटिया वाली जगह पर राष्ट्रीय राज मार्ग 57 में तीक्ष्ण मोड़ है।े कई बार तो दुर्घटना के बाद दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी उछल कर नीचे उस सर्विस रोड तक आ गिरी है जहां पर रविवार और गुरुवार को हाट लगी होती है। कभी हाट के समय में इस तरह की दुर्घटना हो जाय तो ...............यह सोच कर ही लोगों के रुह कांप

उठते हैं। परंतु स्थानीय प्रशासन पर इसका अब तक कोई असर होते दिख नहीं रहा है। अचरज की बात तो यह भी है कि फुलपरास का यह हाट राजस्व हाट है जिससे सरकारी राजस्व की प्राप्ति भी होती है। फिर भी हटिया के दूकानदारों एवं इस पर आने वाले खरीददारों को यहां का स्थानीय एवं जिला प्रशासन भगवान के भरोसे छोड़ कर अरसे से असंवेदनशील नजर आ रहा है। मिडिया में आ रही खबरों के अनुसार एक बार फिर से इसे भूतही बलान के सुरक्षात्मक पश्चिमी तटबंध पर भेजे जाने के अधिकारिक निर्देश की चर्चा है। जल संसाधन विभाग इससे सहमत नहीं दिख रहा है। अगर ऐसा होता है तो फिर एक बार हाट के लिए तार से गिर कर खजूर पर अटकने वाली स्थिति उत्पन्न हो जायेगी। सुरक्षात्मक तटबंधों के रखरखाव पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। होता क्या है यह तो समय के गर्भ में है।

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