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कवयित्री डॉक्टर सुलक्ष्मी कुमारी नहीं रही

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यह कहते हुए आंखें नम हो गई है कि हम लोगों के बीच विदुषी परम ज्ञानी कर्तव्यनिष्ठ सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉक्टर सुलक्ष्मी कुमारी नहीं रही। सहसा विश्वास नहीं होता कला संस्कृति से जुड़ी रही कविता कहानी उपन्यास और शोध प्रबंध सब कुछ प्रकाशित किया गया बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में उनके प्रथम ग्रंथ का लोकार्पण भी हुआ और बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की जानथी सुलक्ष्मी सीडीएमए काम करते हुए उन्होंने साहित्य कला और संगीत की सेवा की दुर्घटना के पहले सीडीए के लिए आयोजित कार्यक्रम के पूर्वाभ्यास में लगी हुई थी और चुकी उनका निवास बाईपास के उस पार था और वही मौत उनका इंतजार कर रही थी बहुत दुखद एक अत्यंत प्रतिभाशाली

साहित्यकार मित्र स्नेही बहन का निधन हुआ है हृदय दुख से भरा है यह वास्तव में हृदय विदारक है इस दुर्भाग्यपूर्ण  घटना के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे परिवार को इस महान दुख से ईश्वर उबारें। उनके दो सुपुत्री है दोनों कलाकार हैं और प्रतिभा संपन्न है अपनी अपनी पढ़ाई में उनका एक सुंदर पुत्र है वह भी विचलित हो गया होगा डॉक्टर सुलक्ष्मी ने कुछ नहीं देखा और असमय मौत ने उनके सारे अरमानों को जला दिया। नम आंखों से मैं उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। याद कभी भुलाई नहीं जा सकती।

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