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श्री दास ने कहा करीब 771 लोगों के कमर के ऊपर लाठियां चली है

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भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए श्री दास ने कहा कि घायल लोगों से मिलने के बाद हमलोगों ने महसूस किया कि भाजपा द्वारा राजनीतिक मुद्दे पर शांतिपूर्ण मार्च था। और कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने प्रायोजित हिंसा करवाई , जो दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक है। उन्होंने मीडिया के लोगों को भी इस बर्बरता पूर्ण कारवाई को दिखाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आंसू गैस में मिर्ची पाउडर डाले गए। उन्होंने कहा कि बर्बरता का आलम था कि विजय सिंह जैसे साथी की शहादत हो गई। उन्होंने कहा कि महिला समेत 1000 लोग घायल हो गए, जिसमे 300 अति गंभीर हैं।

उन्होंने कहा कि यह एक सोची समझी साजिश थी, जिसकी निंदा की जानी चाहिए। श्री दास ने कहा कि भाजपा ने जब इस मार्च की इजाजत मांगी थी तब प्रशासन ने रूट मांगी थी, जब दिया गया तो उसे स्वीकार कर लिया गया और फिर प्रशासन के लोगों ने मार्च के दौरान रूट को बदल दिया। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि मार्च को रोकने की कोशिश की गई, लाठीचार्ज के कारण ही विजय सिंह की मौत हुई l उन्होंने कहा कि इधर मार्च डाक बंगला चौराहे पर पहुंची भी नहीं और लाठी चार्ज और आंसू गैस चलने लगे। उन्होंने कहा कि यह घटना जे पी आंदोलन की याद दिलाती है।

समिति के सदस्य और सांसद मनोज तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि करीब 771 लोगों के कमर के ऊपर लाठियां चली है। जिसमे अधिकांश के सिर पर लाठियां बरसाई गई। उन्होंने कहा बातचीत या वीडियो फुटेज देखने से मन में आशंका बनती है कि जिस तरह लाठियां चलाईं गई वह पुलिस के ही जवान थे या गुंडे थे जिन्हे पुलिस की वर्दी पहना दी गई थी। श्री तिवारी ने भी सवाल उठाया कि आखिर संकरे रास्ते के लिए रूट क्यों बदला गया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन को रोकने के लिए पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यहां सबसे अंतिम में वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ। समिति की महिला सदस्य और सांसद सुनीता दुग्गल ने तो स्पष्ट लहजे में कहा कि महिलाओं पर जिस तरह पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा लाठियां बरसाई गई उसे सभ्य समाज भी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा दृश्य आज तक कभी कोई नहीं देखा होगा।उन्होंने कहा कि घायल महिलाओं से बात करने पर साफ हुआ कि महिलाओं की छातियों पर वार किया गया। एक महिला नेता की पसली टूट गई तो एक महिला साथी के सिर में गंभीर चोट है। कई बहन, बेटियों के पीठ डंडे की मार से नीले पड़े हुए हैं।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या इस सरकार में महिलाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन या रैली में लोगों को रोकने का एक नियम होता है, लेकिन सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। चुन चुनकर लोगों को पीटा गया। उन्होंने कहा कि समिति इस निर्णय पर पहुंची है कि इस घटना कि न्यायिक जांच होनी चाहिए I

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