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पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल नगर परिषद में आधी रात को पौन तीन करोड़ के घोटाला

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पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल नगर परिषद में आधी रात को पौन तीन करोड़ के घोटाले की प्लानिंग अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर ने रचा, यह बात किसी के गले के नीचे नहीं उतर रही. केस दर्ज होने के बाद मोतिहारी साईबर पुलिस की जांच तेज हो गई है. पुलिस का दावा है कि वह असली गुनाहगार तक जल्द ही पहुंचेगी. पुलिस को भी इस बाद का अंदाजा है कि इतने बड़े घोटाले की प्लानिंग सिर्फ कंप्यूटर ऑपरेटर रच सकता है, यह संभव नहीं दिखता. लिहाजा तार जोड़ने की कोशिश जारी है. इधर, साइबर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस घपले में संलिप्तता संदेह पर दो लोगों को मधुबनी से उठाया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दोनों खाताधारकों को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है पूछताछ में अहम सबूत मिलने का अनुमान है. अब साईबर पुलिस नगर परिषद के कागजात को गहन छानबीन करेगी.

आखिर पकड़े गए दोनों शख्स के खाते में में इतनी बड़ी राशि भेजने के पीछे कौन है ? पूछताछ में अहम सुराग हाथ लग सकता है. नगर परिषद की संचिका से असली मुजरिम तक पहुंचने की कोशिश है रक्सौल नगर परिषद में बड़े घोटाले की थी तैयारी  रक्सौल नगर परिषद में आधी रात में पौने तीन करोड़ के फर्जी पेमेंट करने के प्रयास के खुलासे के बाद हड़कंप मचा हुआ है । मोतिहारी साइबर थाना पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर जांच में जुट गई है। साइबर थाना पुलिस ने आधी रात को फर्जी तरीके से भुगतान की कोशिश में प्रयोग किए गए कंप्यूटर को जब्त कर लिया है. शहर में चर्चा बना हुआ है कि तीन दिनों तक मामला को दबाने के प्रयास के बाद अंत में प्राथमिकी दर्ज कराई अगर तत्कालीन ईओ के मोबाइल पर मैसेज नही जाता तो गबन होना तय था. .यह जबरदस्त चर्चा है कि बिना बड़े पदधारकों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कोई कर्मी कार्यालय पहुंचकर फर्जीवाड़ा करने का प्रयास करेगा ? जबकि रक्सौल नगर परिषद और हाल ही में पदाधिकारी बन कर आए हाकिम का फर्जीवाड़ा से अटूट रिश्ता रहा है ।

लोग दबी जुबान यह भी चर्चा कर रहे कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. सिर्फ सरकारी सेवक ही नहीं, बिना जनप्रतिनिधि की मिलीभगत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नही हो सकता. अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर बिना बड़े लोगों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कार्यालय खोल कर फर्जी तरीके से पौने तीन करोड़ का भुगतान कैसे करेगा ? अगर कंप्यूटर ऑपरेटर ने नवंबर को इतना बड़े फर्जीवाड़े का प्रयास किया तो केस दर्ज करने में तीन दिन क्यों लग गए ? उसी रात इसकी सूचना पुलिस को क्यों नही दी गई? आखिर तीन दिनों बाद साइबर थाने में छोटे से कर्मी से प्राथमिकी दर्ज करने को आवेदन क्यो दिलवाया गया ? ये तमाम सवाल रक्सौल से लेकर पटना तक तैर रहे हैं. इसका जवाब नगर विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को देने पड़ेंगे. 

क्या है मामला
रक्सौल नगर परिषद के  सरकारी खाता से 23 नवम्बर की मध्य रात्रि अवैध निकासी की कोशिश की गई. रात के 12 बजे के आसपास तीन वेंडरों के खाते में पौने तीन करोड़ की राशि भेजने की कोशिश की गई। मामले का खुलसा तब हुआ जब पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल पर आधी रात  को बड़ी राशि भुगतान का मैसेज आया . इसके बाद उनके होश उड़ गए । पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ने इसकी सूचना रक्सौल में किसी पूर्व जन प्रतिनिधि को दिया । जिसके बाद फर्जीवाड़े के खेल को आनन फानन में रोका गया ।  26 तारीख को डाटा ऑपरेटर के आवेदन पर साइबर थाना में एक कर्मी व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज कराया गया ..... रीता सिंह

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