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पटना का जानलेवा अस्पताल पारस हॉस्पिटल ,आइए ,जाने सच

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 PATNA:  राजधानी पटना के पारस अस्पताल पर कई गंभीर आरोप लगते रहे हैं।कई केस में तो थाने में मुकदमा भी दर्ज हुआ,विप की कमिटी ने भी जांच की। लेकिन आज तक सरकारने अस्पताल प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं की। यूं कहें कि पारस अस्पताल प्रबंधन मरीजों की जान से खिलवाड़ करते आ रहा फिर भी सरकार की हिम्मत नहीं की कार्रवाई के बारे में सोच भी सके। बिहार के रिटायर्ड वरिष्ठ आईएएस अफसर ने पटना के पारस अस्पताल की वो हकीकत सार्वजनिक की है जिसे पढ़कर आप अपने दुश्मन को भी इस हॉस्पिटल में जाने की सलाह नहीं देंगे। बिहार में कई बड़े पदों पर कार्यरत्त रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विजय प्रकाश का खुलासा जानें....आप उनके इस जानकारी को
जाने से पहले  सौ बार सोचेंगे ,
आपके साथ भी ऐसा हो सकता है

बिहार के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विजय प्रकाश ने अपने फेसबुक पोस्ट में पारस अस्पताल की जानलेवा चिकित्सीय व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। वो लिखते हैं कि मैं पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना में इलाज कराने का एक भयानक अनुभव साझा करने जा रहा हूं ताकि हम इलाज करते समय सावधान हो जाएँ क्योंकि इस प्रकार की घटना किसी के साथ भी हो सकती है। मैं मार्च'22 के प्रथम सप्ताह में तीव्र दस्त और ज्वर के रोग से काफी पीड़ित हो गया था। तीन दिनों तक परेशानी बनी रही। घर पर रहकर ही इलाज करा रहा था। कुछ वर्षों से मैं एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए एफ)  का रोगी रहा हूँ. लिहाजा एक कार्डिया मोबाइल 6L साथ रखता
 अपने कार्डिया मोबाइल 6L पर जांच किया तो पता चला कि पल्स रेट काफी बढ़ा हुआ था और इ0 के0 जी0 रिपोर्ट एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए0 एफ0) का संकेत दे रहा था। हमने तुरत अस्पताल चलने का निर्णय लिया. पारस एच एम आर आई अस्पताल घर के करीब ही है। हम उसके इमरजेंसी में ही चले गये। इमरजेंसी में डॉक्टर चन्दन के नेतृत्व में व्यवस्था अच्छी थी। तुरत इ0  सी0  जी0  लिया गया। उसमें भी ए0 एफ0 का ही रिपोर्ट आया। पर करीब आधे घंटे के बाद पुनः इ0 सी0
 गया। उसमें इ0 सी0 जी0  सामान्य हो गया था।  साइनस रिदम बहाल हो गया था।  आपात स्थिति में प्रारंभिक देखभाल के बाद, मुझे डॉ. फहद अंसारी डीसीएमआर 3817 की देखरेख में एमआईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया। जब मुझे एमआईसीयू में ले जाया गया, तो मुझ पर दवाओं और परीक्षणों की बमबारी शुरू हो गई। कई तरह के टेस्ट प्रारम्भ हो गये और कई प्रकार की  दवाइयाँ लिखी  गईं । 12 मार्च 2022 को  सुबह दस्त नियंत्रण में आ गया था। पर मुझे बताया गया कि हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे हो गया है और प्लेटलेट की संख्या  भी काफी कम हो गई है। डॉक्टर रोग के निदान के संबंध में  स्पष्ट नहीं थे। उन्हें लग रहा था कि कोई गंभीर इन्फेक्शन है। मैंने बताया भी कि मैं
मार्च 2022 को  सुबह दस्त नियंत्रण में आ गया था। पर मुझे बताया गया कि हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे हो गया है और प्लेटलेट की संख्या  भी काफी कम हो गई है। डॉक्टर रोग के निदान के संबंध में  स्पष्ट नहीं थे। उन्हें लग रहा था कि कोई गंभीर इन्फेक्शन है। मैंने बताया भी कि मैं थाइलेसेमिया माइनर की प्रकृति का हूँ अतः मेरा हीमोग्लोबिन का स्तर नीचे ही रहता है और प्लेटलेट की संख्या भी कम ही रहती है। खून जांच में अन्य आंकड़े भी सामान्य से भिन्न रहते  हैं । इसे ध्यान में रखकर ही निर्णय लेना बेहतर होगा।  डॉक्टर ने खून चढ़ाने का निर्णय लिया  और  दोपहर में खून  की एक बोतल चढ़ा दी गई।
मलेरिया-रोधी दवा क्यों?

मेरे अटेंडेंट को कॉम्बीथेर और डोक्सी नमक दवा को बाजार से लाने के लिए कहा गया. क्योंकि वे अस्पताल की दुकान में उपलब्ध नहीं थे। जब मुझे दवा खाने के लिए कहा गया तो मैंने दवा के बारे में पूछा। उपस्थित नर्स ने कॉम्बिथेर नाम का उल्लेख किया। इंटरनेट के माध्यम से मुझे यह पता चला कि यह एक मलेरिया रोधी दवा है। अस्पताल आने के बाद से ही मुझे बुखार नहीं था। मेरा दस्त भी नियंत्रण में था। फिर मलेरिया-रोधी दवा क्यों? क्या मलेरिया परजीवी मेरे रक्त में पाये गये हैं? इस सम्बन्ध में मैंने नर्स से पूछताछ की।  उनका कहना था कि चूँकि डॉक्टर ने यह दवा लिखा है इसलिए वे यह दवा खिला रही हैं। यदि मैं दवा नहीं खाऊंगा तो वे लिख देंगी कि
 इसपर मैंने कहा कि एक तरफ मुझे खून चढ़ाया जा रहा है क्योंकि हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट कम बताये जा रहे हैं और मुझे ए0  एफ0 भी है दूसरी ओर अनावश्यक दवा दिया जा रहा है जबकि मेरा बुखार और दस्त दोनों नियंत्रण में है, जिसका काफी अधिक ख़राब असर मेरे स्वास्थ्य पर हो सकता है जिससे बचा जाना चाहिए । अतः मैंने डॉक्टर से पुनः पूछकर ही दवा खाने की बात कहीं। मेरे बार-बार अनुरोध करने पर नर्स ने आई0  सी0  यू0  के प्रभारी डॉक्टर प्रशांत को बुलाया। मैंने उनसे भी यही अनुरोध किया कि रक्त परीक्षण में मलेरिया परजीवी की स्थिति देखने पर ही ये दवा दी जाय। इस सम्बन्ध में वे प्रभारी डॉक्टर से संतुष्ट हो लें। डॉक्टर प्रशांत ने सम्बंधित डॉक्टर से बाते की और इस दवा को बंद करा दिया क्योंकि मलेरिया परजीवी हेतु रक्त परीक्षण में परिणाम नकारात्मक था। इस प्रकार मैं एक अनावश्यक दवा के कुप्रभाव से बच ग

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