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पॉश पूर्णिमा का क्या है महात्म जाने।

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धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस साल पौष पूर्णिमा सोमवार 17 जनवरी को है। इस तिथि को चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। वहीं पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि और भी खास हो जाती है। क्योंकि पौष माह को सूर्य का माह कहा जाता है। इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भुत संगम बेहद शुभ माना जाता है। आज पवित्र नदियों में स्नान के मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का विधान है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ करने से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और जातक की हर मनोकामना पूरी करते हैं। आइए आज जानें पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं
इस दिन काशी में दशाश्वमेघ तथा त्रिवेणी संगम में स्न्नान का बहुत ज्यादा महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन स्नान करने से आपकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं और रुके हुए काम बनने लगते हैं। इस दिन व्रत का विषेश पुण्य मिलता है और दान करने से घर में लक्ष्मी जी का वास होता है।
आज के दिन को शांकभरी पू्र्णिमा भी कहा जाता है
शास्त्रों के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा के दिन ही मां दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए माता शांकभरी का अवतार लिया था। कहा जाता है कि इस दिन मां दुर्गा ने धरती पर होने वाली खाद्य की कमी से भक्तों को मुक्त किया था और उन्हें भरपूर भोजन मिला था। इसलिए इन्हें सब्जियों और फलों की देवी माना जाता है। बता दें कि पौष माह की पूर्णिमा को शांकभरी पू्र्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं।
कच्चे फल व सब्जी का करें दान
इस दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा होती है, लोग दशाश्वमेघ तथा त्रिवेणी संगम में स्न्नान के लिए जाते हैं। जरूरतमंदों को अन्न और कपड़े दान करते हैं। माना जाता है कि पौष पूर्णिमा के लिए सभी व्रतो में खास माना जाता है

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